लेखनी - फुहारें
फुहारें...
बहुत ही खूबसूरत सी हैं,
ये गिरती सावन की फुहारें,
दिल पर चढ़ी है इसकी खुमारी,
इसको को अब कैसे संभालें,
कतरा कतरा भीगती हूं मैं इसमें,
इनसे प्यार करने को जी चाहता है,
जो ग्रीष्म, उष्ण सा दबा हुआ था, मन के भीतर
उसको शीतल करने को जी चाहता है
जैसे धरती ने ओढ़ ली हरी चुनरी,
खुद को भी हरितिमा कर लेने को जी चाहता है,
इन गिरती फुहारों के बीच,
उनसे आलिंगन करने को जी चाहता है।।
प्रियंका वर्मा
9/7/22
Swati chourasia
10-Jul-2022 07:40 AM
बहुत खूब 👌
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Raziya bano
09-Jul-2022 05:46 PM
Nice
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Renu
09-Jul-2022 12:53 PM
👍👍
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